मुसलमानों को चाहिये कि इस दौर में अपने दिल को मज़बूत रखें ख़ौफ़ औऱ दहशत को दिल से निकाले, मौत का ख़ौफ दिल से निकाले, मौत बरहक़ है, एक न एक दिन ज़रूरी आयेगी, मौत के डर से हम घरों मे बैठ कर काँपते रहे ये हमारा तरीका नही है।
ख़ुदा-ना-खास्ता अगर हालात ऐसे हो जाये कि हमारे जानो-माल पर हमला हो जाये तो बुज़दिल बन कर घरों में ना बैठे रहें, हम अमन के मुहाफ़िज़ है अपनी तरफ़ से कोई इक़दाम हम अमन के ख़िलाफ़ नही करेंगे, लेकिन अगर हमारे जानो-माल हमारी इज़्ज़त-आबरू पर कोई हमलावर होता है, तो सिर्फ़ नारे तकबीर ना लगाये छतों पर चढ़ कर बल्की अल्लाह ने जितनी ताक़त दी है जितनी हिम्मत दी है जितने असबाब फ़राहम हो उनके ज़रिये अपना दिफ़ा करने की कोशिश करनी करें।
फिर कहूँगा मौत आये तो इज़्ज़त के साथ आये मौत आयेगी एक वक्त ज़रूर आयेगी लेकिन अपने दिलो के अंदर ख़ौफ़ बैठा कर, कमज़ोरी बैठा कर अपने को दूसरों के सुपुर्द कर देना, हवाले कर देना ये ईमान वाले कि शान नही है, अल्लाह हम सबको सही समझ आता फरमाये सही अमल क़रने की तौफीक आता फरमाये...।आमीन